सहना इस सफ़र को बिन साथ तुम्हारे
सह ही रहा हूँ |
सहने को और अब रह क्या गया है
कहा नहीं शायद कही कुछ, कोसता हूँ
की कहने को अब और रह क्या गया है
मौसम वही है
रातें वही हैं, रातों की वो बातें वही हैं
पर इस थकान से राहत नहीं है|
दोस्ती की दस्तक में था साथ तुम्हारा
अब इस साथ में दोस्ती कहीं ग़ुम गई है|
जब चाहा की देखूं तो पाबन्दी मिली
और अब बतों में नमी खिल रही है|
यह सोच है मेरी आज़ाद उज्जवल , वो दी अगर
तो मरेगी वो ज़िन्दगी
जो यहाँ बस रही है
जो बीतें यह दस दिन
जो सोचो तुम, और आयो यहाँ कही तुम मेरे बिन
तो समझना इसे, जो घुटन है यहाँ वह दर्द की नहीं है
यह रूह है मेरी
जो रुक्सत हो गयी थी
और अब यहाँ पर सड़ रही है
पिघल रहा इस बारिश में
साक्षी हूँ में, क्यूँ कुछ करता नहीं हूँ
की यह वाक्य थे उसके
तू तो मर रहा है
आत्म हूँ तेरा में मरता नहीं हूँ
झूट था जो कहा कभी था
पर क्या झूट है अब वो जो लग रहा है
जब में हूँ वही जो लिखा था कभी
तो साया मेरा क्यूँ अब बढ रहा है
जो सोच है मेरी उज्जवल अभी
तो व्यर्थ है यह कविता
की साया मेरा मुझे दिख रहा है
यह पंक्ति है अंतिम जो लिखी हैं तुमपर
कि ताकत नहीं हैं|
आत्म तो मेरा सड़ ही रहा था
अब धुंए में शरीर मेरा मर रहा है|
जो बीतें यह दस दिन
जो सोचो तुम, और आयो यहाँ कही तुम मेरे बिन
तो समझना इसे, जो घुटन है यहाँ वह दर्द की नहीं है
यह रूह है मेरी
जो रुक्सत हो गयी थी
और अब यहाँ पर सड़ रही है
Monday, September 05, 2011
Friday, September 02, 2011
ab shanti hai
शांत सी थीं वो
शांत हि थीं
न माथे पर शिकन न शंका ज़रा सी
शंका हो भी कहाँ अब यहाँ
वो बी अब उनके साथ जा चुकी है
सालों सुना
अब देखा तो जाना
जाना न चाहो पर जाना कभी है
जो जियो अभी तुम तो समझो की जिया
जो शिकन है अभी, तो शिकन हि जाना साथ सही है
पता था मुझे वो जायेंगी अभी, अब
न पता यह है की में जाऊंगा कभी कब
जब हमेशा तुम्हे यहाँ रहना नहीं है
जो शिकन है अभी, तो शिकन हि जाना साथ सही है
क्या दिया अभी तब ?
क्या किया अभी तक?
जो शांत हि तुम चली जातीं
मुझे अभी ये बातें चाहे भाती नहीं हैं
पर त्योरियां हटाने से शिकन यूँ जाती नहीं है
मुझे ख़ुशी है इसकी
की यहाँ वो नहीं
वो तो शायद उनके साथ जा चुकी है|
शांत हि थीं
न माथे पर शिकन न शंका ज़रा सी
शंका हो भी कहाँ अब यहाँ
वो बी अब उनके साथ जा चुकी है
सालों सुना
अब देखा तो जाना
जाना न चाहो पर जाना कभी है
जो जियो अभी तुम तो समझो की जिया
जो शिकन है अभी, तो शिकन हि जाना साथ सही है
पता था मुझे वो जायेंगी अभी, अब
न पता यह है की में जाऊंगा कभी कब
जब हमेशा तुम्हे यहाँ रहना नहीं है
जो शिकन है अभी, तो शिकन हि जाना साथ सही है
क्या दिया अभी तब ?
क्या किया अभी तक?
जो शांत हि तुम चली जातीं
मुझे अभी ये बातें चाहे भाती नहीं हैं
पर त्योरियां हटाने से शिकन यूँ जाती नहीं है
मुझे ख़ुशी है इसकी
की यहाँ वो नहीं
वो तो शायद उनके साथ जा चुकी है|
Location:
Alwar, Rajasthan, India
Saturday, August 27, 2011
i believe in doing
कुछ करना
करके दिखाना
दिखावटी करना
कुछ तो करना, करते रहना
कभी, कुछ ना करना
ताकि कुछ हो जाये
कभी, कुछ ना करना
ताकि कुछ कर पाएं
कभी कुछ करना ताकि कुछ पाएं
कभी कुछ करना की कुछ खो ना जायें
कुछ करना, ना करपाना
कभी कुछ ना करने पर भी कुछ हो जाना
जब दोनों ही किये नहीं मैंने
तो क्यूँ भला कुछ करूँ कभी
ये कुछ ना करने की इच्छा कुछ करने आई है
यह आलस नहीं
-----------------------
कुछ करें तो पूरा करें
आधे कटे हीरे में भी, तराशने वाले की बदनामी है
और महाभारत की तो जीत भी नहीं कहलाई बेमानी है
और कुछ तो हो ही रहा है अभी
तो कुछ ना करने का सवाल ही नहीं|
करके दिखाना
दिखावटी करना
कुछ तो करना, करते रहना
कभी, कुछ ना करना
ताकि कुछ हो जाये
कभी, कुछ ना करना
ताकि कुछ कर पाएं
कभी कुछ करना ताकि कुछ पाएं
कभी कुछ करना की कुछ खो ना जायें
कुछ करना, ना करपाना
कभी कुछ ना करने पर भी कुछ हो जाना
जब दोनों ही किये नहीं मैंने
तो क्यूँ भला कुछ करूँ कभी
ये कुछ ना करने की इच्छा कुछ करने आई है
यह आलस नहीं
-----------------------
कुछ करें तो पूरा करें
आधे कटे हीरे में भी, तराशने वाले की बदनामी है
और महाभारत की तो जीत भी नहीं कहलाई बेमानी है
और कुछ तो हो ही रहा है अभी
तो कुछ ना करने का सवाल ही नहीं|
Wednesday, August 10, 2011
i got company
गम नहीं हैं कुछ खास
यह तो बस मौसम नम है
चाहत क्या करें कोई किसी से
समय ही कितना कम है
कमी कह नहीं रहा हूँ
साथ आज ही तो सब हैं
रात भर लिखता हूँ में
और रोते बादल हरदम हैं
बारिश बरसे कभी सोचा तो था
पर प्यास है अब तब बरसी यह खट्टी नमी है
सही कहते हैं सब वहां देर है और अंधेर नहीं है |
यह तो बस मौसम नम है
चाहत क्या करें कोई किसी से
समय ही कितना कम है
कमी कह नहीं रहा हूँ
साथ आज ही तो सब हैं
रात भर लिखता हूँ में
और रोते बादल हरदम हैं
बारिश बरसे कभी सोचा तो था
पर प्यास है अब तब बरसी यह खट्टी नमी है
सही कहते हैं सब वहां देर है और अंधेर नहीं है |
Thursday, June 30, 2011
corrupt congress
सरदार सिंह गब्बर और चालाक चिदम्बरम चीते ने
यह योजना बनाई
की हाथ कुछ आया नहीं तो
कमज़ोर काली कनिमोज़ी की पीछे सीबीआई लगायी |
सोनिया सियार और मौन मनमोहन की तरफ
जब लोमड़ी ललिता मुस्कुरायी
DMK के बुरे दिन शुरू हुए
कीचड़ उछाल कांग्रेस ने दिखाई हाथ की सफाई
चिकनी चिट्टी चीट्ठी देख जब रामू रंम्भाये
जानवरों की जात राजनीती समझ न पाए
रामलीला देखिये, रावण से हार राम रण छोड़ कहलाये|
अब करहाती कांग्रेस के देखो ये काले काम
राजा ही प्रजा को खाए
बात भ्रष्टाचार की बीच में प्रजातंत्र लाये
और प्रजातंत्र के नाम पर लूटें देश को सरे आम
पैसे देके बच्चे बहार पड़ाये
फिर भी रोते राहुल घर आये
ये हमारा नाम कर रहे बदनाम
इस काली कांग्रेस के देखो ये काले काम
और अन्ना पर दे रहे हैं ये जानवर बयान
आमरण अंनशन करो अन्ना
पर हम नहीं देंगे ध्यान
करे इन्होने कर कांग्रेस के लहू लुहान
तभी कराह रही है कांग्रेस
पता नहीं कब इन्हें ये समझ आएगा
चाहे कुर्सी पर शमशान जाओ
साथ कुछ नहीं जायेगा
यह योजना बनाई
की हाथ कुछ आया नहीं तो
कमज़ोर काली कनिमोज़ी की पीछे सीबीआई लगायी |
सोनिया सियार और मौन मनमोहन की तरफ
जब लोमड़ी ललिता मुस्कुरायी
DMK के बुरे दिन शुरू हुए
कीचड़ उछाल कांग्रेस ने दिखाई हाथ की सफाई
चिकनी चिट्टी चीट्ठी देख जब रामू रंम्भाये
जानवरों की जात राजनीती समझ न पाए
रामलीला देखिये, रावण से हार राम रण छोड़ कहलाये|
अब करहाती कांग्रेस के देखो ये काले काम
राजा ही प्रजा को खाए
बात भ्रष्टाचार की बीच में प्रजातंत्र लाये
और प्रजातंत्र के नाम पर लूटें देश को सरे आम
पैसे देके बच्चे बहार पड़ाये
फिर भी रोते राहुल घर आये
ये हमारा नाम कर रहे बदनाम
इस काली कांग्रेस के देखो ये काले काम
और अन्ना पर दे रहे हैं ये जानवर बयान
आमरण अंनशन करो अन्ना
पर हम नहीं देंगे ध्यान
करे इन्होने कर कांग्रेस के लहू लुहान
तभी कराह रही है कांग्रेस
पता नहीं कब इन्हें ये समझ आएगा
चाहे कुर्सी पर शमशान जाओ
साथ कुछ नहीं जायेगा
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Thursday, June 09, 2011
give me some "time"
Kill me for the reason I don’t know how to live
Kill me for the reason in so close to u
Kill me for the reason I know how to predict
Kill me for the reason I know what u want
And kill me for the reason u lie a lot
And the reason I luk ok
I talk gud when im not
But r u ready to take blood in ur hands
R u ready to take that stand
R u ready for the killing spree, of all 5 me
R u ready to set me free?
Many have just left me like this
To suffer and then die pale
They choose for me a death so painful
They took care of every detail
And I survived not becoz
Of their inexperienced life in crime
I survived for they gave me one thing
Their time.
Kill me for the reason in so close to u
Kill me for the reason I know how to predict
Kill me for the reason I know what u want
And kill me for the reason u lie a lot
And the reason I luk ok
I talk gud when im not
But r u ready to take blood in ur hands
R u ready to take that stand
R u ready for the killing spree, of all 5 me
R u ready to set me free?
Many have just left me like this
To suffer and then die pale
They choose for me a death so painful
They took care of every detail
And I survived not becoz
Of their inexperienced life in crime
I survived for they gave me one thing
Their time.
Monday, May 30, 2011
u dont know this
क्या वो में हूँ वहां जो ऊपर खड़ा है?
क्या वो में हूँ वहां जो अकेला बड़ा है?
सच हैं वो जो यहाँ से कभी भी दिखते नहीं थे
या सच हैं वो फूल जो अभी बिखरे पड़े हैं|
कविताएँ वो सपने सच थे ?
या क्या सच था वो जो सराहा सारा,
सच समझ ये सबकुछ जो समझा
क्या व्यर्थ था केवल वो आभास तुम्हारा
जो कहना था, कभी कह न पाया
डर कर जिस चाहत से, छूटा साथ तुम्हारा
न कभी पूछा तुमने न कभी समझा की चाहूँ
लग रहा था क्या फर्क पड़ेगा,
की में बस जाने लगा हूँ
वह देखो शायद में ऊपर खड़ा
देखता यहीं हूँ,
चाहे आगे बड़ा हूँ|
क्या वो में हूँ वहां जो अकेला बड़ा है?
सच हैं वो जो यहाँ से कभी भी दिखते नहीं थे
या सच हैं वो फूल जो अभी बिखरे पड़े हैं|
कविताएँ वो सपने सच थे ?
या क्या सच था वो जो सराहा सारा,
सच समझ ये सबकुछ जो समझा
क्या व्यर्थ था केवल वो आभास तुम्हारा
जो कहना था, कभी कह न पाया
डर कर जिस चाहत से, छूटा साथ तुम्हारा
न कभी पूछा तुमने न कभी समझा की चाहूँ
लग रहा था क्या फर्क पड़ेगा,
की में बस जाने लगा हूँ
वह देखो शायद में ऊपर खड़ा
देखता यहीं हूँ,
चाहे आगे बड़ा हूँ|
Tuesday, March 29, 2011
live in 4th D
३ आयाम का सबक समजदारी थी सीखी
३ आयामी सृस्ती है
प्रकाशीय सीमा समावित इसी में
अंधकार भी यहीं है|
यह सीमा सभी की, सभी है यहाँ
यह विवशता सभी की, यह इच्छा नहीं है|
आगे बढकर यह जायें कहाँ सब ?
सभी सोचते हैं, पर कुछ दिखता नहीं है|
यह ३ आयाम हैं सभी के वश में,
जीवन हम में है, पर इनमें नहीं है
खेल है जीवन जो जीते हैं इस में,
नीयम हैं इसके खिलाड़ी हैं यहाँ और दर्शक यहीं है,
जो खेलते हैं इस में वह मुझे यह बताओ क्यूँ मज़ा है यह और बंधन नहीं है|
नए नीयम बन नहीं पाते,
दोहराता है इतिहास रहता नियम के साथ
तभी तो रहता एकसा है और दोहरा नही है|
३ आयामी सृस्ती है
प्रकाशीय सीमा समावित इसी में
अंधकार भी यहीं है|
यह सीमा सभी की, सभी है यहाँ
यह विवशता सभी की, यह इच्छा नहीं है|
आगे बढकर यह जायें कहाँ सब ?
सभी सोचते हैं, पर कुछ दिखता नहीं है|
यह ३ आयाम हैं सभी के वश में,
जीवन हम में है, पर इनमें नहीं है
खेल है जीवन जो जीते हैं इस में,
नीयम हैं इसके खिलाड़ी हैं यहाँ और दर्शक यहीं है,
जो खेलते हैं इस में वह मुझे यह बताओ क्यूँ मज़ा है यह और बंधन नहीं है|
नए नीयम बन नहीं पाते,
दोहराता है इतिहास रहता नियम के साथ
तभी तो रहता एकसा है और दोहरा नही है|
Friday, February 25, 2011
May b i need help
m i going up?
feels like coz of decreasing pressure
decreasing temperature
decreasing o2 level
and the decreased surface area visible
if yes why is it so lonely here?
when i asked whoz with me
there were a 1000 sound
they either dont like my company
or me
or just afraid of path to here
or mayb heights
everything below is smaller
feels easier than everything around
y temp outside keeps decreasing,
the supplies are alrdy low
now when the glucose consumption is high
when there is nbdy to borrow warmth
nobdy to rely
and if no
mayb i need sleep
mayb i need help
mayb i need some food
mayb you
mayb i need to have faith
on what i believe
or mayb i shud understand u wont ever cum here
this thing u will never read
feels like coz of decreasing pressure
decreasing temperature
decreasing o2 level
and the decreased surface area visible
if yes why is it so lonely here?
when i asked whoz with me
there were a 1000 sound
they either dont like my company
or me
or just afraid of path to here
or mayb heights
everything below is smaller
feels easier than everything around
y temp outside keeps decreasing,
the supplies are alrdy low
now when the glucose consumption is high
when there is nbdy to borrow warmth
nobdy to rely
and if no
mayb i need sleep
mayb i need help
mayb i need some food
mayb you
mayb i need to have faith
on what i believe
or mayb i shud understand u wont ever cum here
this thing u will never read
Sunday, January 02, 2011
patterns in so called new things
One more new year
One more 1/1
One more broken resolution
One more thing, undone
One more fight
Again the careless attitude
One more chance to scream loud
One more thing to think about
These patterns they are killing me
The pattern of day and night
I know when it will rain
I know the patterns of death and life
So what’s new?
For the pattern of summer and winter is known to me
The patterns of hate and love
The patterns of new faces, I can figure out
Patterns present in love and lust
Patterns and calculations of Brownian motion
Patterns in random unorganized particles of dust
Rotten experiences
The unpredictability of life is itself predictable
Life is unknown, claimed to be known by a few
But surely isn’t new
Death, unknown, now new
Relationship status, unknown, not new
This year though unknown but not new
So what's new?
The random patterns of new things
Aren’t unknown for sure
So what’s left?
So what’s new?
Places? Formed by the pseudo unpredictability of earth’s crust
People? Formed by highly predictable, FUCK exchange
nature? The forming force of predictability
and the principle? It’s on how the strings arrange (heisenberg uncertainty principle and the string theory)
New things I suppose are yet to be defined
Newness contradicts itself
and this now is tough one resist
That “new” doesn’t exist
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