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Tuesday, March 29, 2011

live in 4th D

३ आयाम का सबक समजदारी थी सीखी
३ आयामी सृस्ती है
प्रकाशीय सीमा समावित इसी में
अंधकार भी यहीं है|
यह सीमा सभी की, सभी है यहाँ
यह विवशता सभी की, यह इच्छा नहीं है|
आगे बढकर यह जायें कहाँ सब ?
सभी सोचते हैं, पर कुछ दिखता नहीं है|

यह ३ आयाम हैं सभी के वश में,
जीवन हम में है, पर इनमें नहीं है
खेल है जीवन जो जीते हैं इस में,
नीयम हैं इसके खिलाड़ी हैं यहाँ और दर्शक यहीं है,
जो खेलते हैं इस में वह मुझे यह बताओ क्यूँ मज़ा है यह और बंधन नहीं है|
नए नीयम बन नहीं पाते,
दोहराता है इतिहास रहता नियम के साथ
तभी तो रहता एकसा है और दोहरा नही है|