Saturday, November 08, 2014

Life before death OR after it?

I Will Die
I Will
Compels to donate, to give
compels to celebrate, to live
compels to move-on, to leave
i think like that sometimes
all the others this is not how i perceive

SO I THINK INSTEAD
the thought of,
when i see you
of y shud i forgive?
when i see death around
of y should i die
when i see life
i see no reason of why should i live

The body ages
the mind with it
conscious i might not remain
but am i? in state of disdain.
They talk of life after death,
so speaking of death before life!

life, even before death there is one
death, to live before it or after?
life, started by death or breath
life ,taken or given?
choice hard for some

Tuesday, August 13, 2013

शिकायत अब कर ना

घुप्प ख़ामोशी थी,
जब आवाज़ की चाह थी तेरी
ठंडे हैं सब लोग यहाँ
तभी शायद इतनी गरमाहट की चाह है तेरी।
डरावना अँधेरा है,
एक झलक की चाह है तेरी।
बदल रहा है सब कुछ यहाँ
समझूँ जिसको, उस इशारे की चाह है तेरी।
सभी की तरह ही, समझता कोई नहीं,
बोल पाऊं जिनको तुझे,
उन शब्दों की चाह है मेरी।
पर शिकायत ही है अब जो है यहाँ,
शिकायत भरे यह शब्द हैं,
शिकायत भरी यह खामोशियाँ,
यादें हैं तेरी बस अब,
जिनमें शिकायत है नहीं।
जो याद है मुझे, अब आखरी उस एहसास की चाह है मेरी 

Monday, June 03, 2013

शोर

क्यूँ इतना प्रकाशीय यह शोर है ?
न ही कुछ दिख रहा है, न कुछ सुन पा रहा हूँ
कहाँ से कहाँ तक है यह?
शांत शुरुवात थी। शीशे सा दिखता था।
यही हूँ में, या बाहर है यह कहीं? सोचना फ़िज़ूल लगता था।

तुम ने सुना है कभी इसको ?
आराम से सोते हो?
कभी रो पाते हो आराम से, डर के? या उससे भी डरते?
सिसकियाँ तुम्हारी भी घुलती जाती हैं इसमें ?
पहुँच पाती हैं किसी तक?
या, क्या तुम ही बस उनको सुनते हो?

शायद यही हूँ में।
बाहर है यह नहीं
नहीं तो सुन तुम भी पाते इसको
होता तुम्हारे साथ यही
देखता कोई तो, सुन पाता  कोई।