गम नहीं हैं कुछ खास
यह तो बस मौसम नम है
चाहत क्या करें कोई किसी से
समय ही कितना कम है
कमी कह नहीं रहा हूँ
साथ आज ही तो सब हैं
रात भर लिखता हूँ में
और रोते बादल हरदम हैं
बारिश बरसे कभी सोचा तो था
पर प्यास है अब तब बरसी यह खट्टी नमी है
सही कहते हैं सब वहां देर है और अंधेर नहीं है |