Monday, May 30, 2011

u dont know this

क्या वो में हूँ वहां जो ऊपर खड़ा है?
क्या वो में हूँ वहां जो अकेला बड़ा है?
सच हैं वो जो यहाँ से कभी भी दिखते नहीं थे
या सच हैं वो फूल जो अभी बिखरे पड़े हैं|

कविताएँ वो सपने सच थे ?
या क्या सच था वो जो सराहा सारा,
सच समझ ये सबकुछ जो समझा
क्या व्यर्थ था केवल वो आभास तुम्हारा

जो कहना था, कभी कह न पाया
डर कर जिस चाहत से, छूटा साथ तुम्हारा
न कभी पूछा तुमने न कभी समझा की चाहूँ
लग रहा था क्या फर्क पड़ेगा,
की में बस जाने लगा हूँ
वह देखो शायद में ऊपर खड़ा
देखता यहीं हूँ,
चाहे आगे बड़ा हूँ|

3 comments:

sam11 said...

gr8 sir... :)

nishant maloo said...

dude.. awesome... srsly man.. (:

Parv said...

@both : thankx :)